टाटा कैपिटल IPO: प्राइस बैंड ने उड़ाई सबकी नींद
ग्रे मार्केट निवेशकों के लिए बड़ा झटका
जब टाटा ग्रुप की प्रमुख NBFC कंपनी टाटा कैपिटल लिमिटेड ने अपना बहुप्रतीक्षित IPO ₹310–₹326 प्रति शेयर के प्राइस बैंड के साथ घोषित किया, तो कई निवेशक हैरान रह गए।
क्योंकि ग्रे मार्केट में इस कंपनी के शेयर कभी ₹1,125 तक बिक चुके थे। यानी, IPO प्राइस आज उस लेवल से लगभग 55–70% नीचे है।
नए निवेशकों के लिए यह एक आकर्षक एंट्री प्राइस हो सकता है, लेकिन जिन रिटेल निवेशकों ने ग्रे मार्केट से महंगे दामों पर शेयर खरीदे थे, उनके लिए यह फैसला गहरी चिंता लेकर आया है।
टाटा कैपिटल के अनलिस्टेड शेयरों की कहानी:
उछाल का दौर
2024 के आखिर से लेकर 2025 की शुरुआत तक मार्केट में यह मैसेज चल रहा था –
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“टाटा कैपिटल अगला बजाज फाइनेंस बनेगा।”
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“IPO से पहले खरीदने का गोल्डन मौका है।”
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“डिमांड बहुत ज्यादा है, प्राइस सिर्फ ऊपर जाएगा।”
ब्रोकर्स ने इस हाइप को खूब बढ़ाया और शेयर ₹1,100 तक पहुंच गए।
हकीकत का झटका
लेकिन धीरे-धीरे सच्चाई सामने आने लगी –
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जुलाई 2025 में कंपनी ने राइट्स इश्यू ₹343 प्रति शेयर पर किया, जो ग्रे मार्केट प्राइस से बहुत कम था।
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NBFC सेक्टर पर दबाव (ब्याज दरों में बढ़ोतरी, रेगुलेटरी टाइटनिंग) ने भी भाव गिरा दिए।
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ब्रोकर्स ने ऊँचे दाम पर खरीदे हुए शेयर रिटेल इन्वेस्टर्स को बेचकर मुनाफा कमा लिया।
नतीजा यह हुआ कि शेयर तेजी से टूटे और अब IPO प्राइस ने उस गिरावट को और गहरा कर दिया।
रिटेल निवेशकों की मुश्किलें
जिन्होंने ग्रे मार्केट में ₹700–₹1,100 तक खरीदारी की थी, वे अब फंसे हुए हैं –
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40–70% तक का नुकसान
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लिस्टिंग के बाद भी 6 महीने का लॉक-इन पीरियड, मतलब तुरंत बेच नहीं सकते
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और सबसे बड़ा दर्द – ब्रोकर्स ने मुनाफा कमाया, रिटेल निवेशक फंस गए
पहले भी ऐसा हुआ है
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HDB फाइनेंशियल सर्विसेज (जून 2025): अनलिस्टेड प्राइस ₹1,200 तक गया, लेकिन IPO से पहले ₹740 पर आ गया। लिस्टिंग मामूली गेन पर हुई, पर जिन लोगों ने ऊँचे दाम पर खरीदा था, वे फंस गए।
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NSDL IPO: ग्रे मार्केट प्रीमियम बहुत हाई था, लेकिन लिस्टिंग के दिन ही शेयर 35% टूट गया।
मतलब साफ है – ग्रे मार्केट का शोर, IPO में गारंटी नहीं बनता।
आखिर टाटा कैपिटल का वैल्यूएशन क्यों टूटा?
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असली वैल्यू से ज्यादा प्राइसिंग – ग्रे मार्केट में 8.5–11x P/B पर ट्रेड हो रहा था, जबकि इंडस्ट्री पीयर्स 4–6x पर।
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राइट्स इश्यू रियलिटी चेक – कंपनी ने खुद ₹343 पर शेयर जारी किए।
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NBFC सेक्टर प्रेशर – ब्याज दरें, क्रेडिट रिस्क और रेगुलेशन ने माहौल बिगाड़ा।
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ब्रोकर्स का रोल – हाइप क्रिएट कर के ऊँचे दाम पर रिटेल को शेयर बेच दिए।
अब IPO निवेशकों के लिए क्या है?
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वैल्यूएशन रीसेट: ₹310–₹326 का प्राइस अब यथार्थवादी है।
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मजबूत ब्रांड: टाटा ग्रुप का भरोसा और लंबी अवधि का ट्रैक रिकॉर्ड।
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ग्रोथ पोटेंशियल: विविध पोर्टफोलियो और विस्तार की गुंजाइश।
👉 लेकिन शॉर्ट-टर्म लिस्टिंग गेन की उम्मीद ज्यादा नहीं है।
IPO के रिस्क
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NBFC सेक्टर की संवेदनशीलता (ब्याज दरें और बाजार की स्थिति)।
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लिस्टिंग डे पर मार्केट मूड बिगड़ सकता है।
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पिछले 2 सालों में 30% IPOs इश्यू प्राइस से नीचे खुले हैं।
रिटेल निवेशकों के लिए सबक
✔ ग्रे मार्केट प्रीमियम के पीछे अंधाधुंध मत भागें
✔ प्री-IPO शेयरों के लॉक-इन को समझें
✔ ब्रांड नाम से ज्यादा वैल्यूएशन पर ध्यान दें
✔ निवेश हमेशा डाइवर्सिफाई करें
✔ और IPO में लंबी अवधि की सोच रखें, सिर्फ लिस्टिंग डे गेन नहीं
FAQs
Q1. टाटा कैपिटल IPO प्राइस बैंड क्या है?
₹310–₹326 प्रति शेयर
Q2. यह अनलिस्टेड प्राइस से कितना कम है?
हालिया ₹735 से 55% और अप्रैल 2025 के ₹1,125 पीक से 70% कम।
Q3. क्या लिस्टिंग गेन मिलेगा?
बहुत ज्यादा उम्मीद न करें, लेकिन लंबी अवधि के लिए टाटा ग्रुप पर भरोसा किया जा सकता है।
Q4. रिटेल निवेशकों को घाटा क्यों हुआ?
क्योंकि उन्होंने ग्रे मार्केट में ऊँचे दाम पर खरीदारी की, ब्रोकर्स ने प्रॉफिट बुक किया।
Q5. क्या इस IPO में अप्लाई करना चाहिए?
हाँ, अगर आप लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर हैं तो यह प्राइस सही है। लेकिन शॉर्ट-टर्म गेन की गारंटी नहीं।
निचोड़: निवेशकों के लिए जागरूक होने का समय
टाटा कैपिटल का IPO हमें सिखाता है कि – ग्रे मार्केट का हाइप हमेशा खतरनाक होता है।
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रिसर्च करें
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ब्रोकर्स के बहकावे से बचें
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और फंडामेंटल्स को आधार बनाकर ही निवेश करें
लंबे समय में टाटा कैपिटल जैसे भरोसेमंद ब्रांड वैल्यू देंगे, लेकिन जल्दी अमीर बनने के चक्कर में फंसने वाले निवेशक सबक ले लें।

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