"रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की शुरुआत और इतिहास"।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का इतिहास: एक छोटे कारोबार से ग्लोबल साम्राज्य तक
एक साधारण शुरुआत
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की कहानी शुरू होती है धीरूभाई अंबानी से — एक ऐसे सपने देखने वाले इंसान से, जिनकी शुरुआत बहुत साधारण थी लेकिन सोच बेहद ऊँची।
धीरूभाई का जन्म 1932 में गुजरात के चोरवाड़ गांव में हुआ। वे शुरू में तेल कंपनियों में क्लर्क की नौकरी करते थे, फिर यमन में पेट्रोल पंप पर काम किया, लेकिन उनका असली सपना था – भारत में खुद का व्यापार खड़ा करना।
1960 का दशक: रिलायंस की नींव
1966 में, धीरूभाई अंबानी और उनके कज़िन चंपकलाल दामानी ने मिलकर मुंबई में एक छोटी कंपनी शुरू की – Reliance Commercial Corporation। ये कंपनी पोलिएस्टर धागा इंपोर्ट करती थी और मसाले एक्सपोर्ट करती थी।
उसी साल, यह कंपनी एक टेक्सटाइल यूनिट के रूप में रजिस्टर्ड हुई – Reliance Textiles Industries Limited और अहमदाबाद के पास नरोड़ा में इसका पहला कपड़ा मिल लगाया गया।
1970 का दशक: “विमल” ब्रांड का उदय
रिलायंस ने अपना पहला टेक्सटाइल ब्रांड लॉन्च किया – विमल।
“ओनली विमल” स्लोगन ने पूरे भारत में ब्रांड को लोकप्रिय बना दिया।
धीरूभाई ने पारंपरिक व्यापार मॉडल को तोड़ते हुए डायरेक्ट डीलर नेटवर्क बनाया, जिससे कंपनी ने ग्राहक से सीधा संबंध बनाया।
1977: कंपनी हुई पब्लिक – शेयर बाज़ार में क्रांति
1977 में, रिलायंस ने अपना IPO (Initial Public Offering) लॉन्च किया और:
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58,000 से ज़्यादा निवेशकों ने रिलायंस में निवेश किया।
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इसने आम जनता को शेयर बाज़ार से जोड़ा और एक "जनता की कंपनी" बन गई।
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भारत में रिटेल इनवेस्टिंग का युग शुरू हुआ।
1980–1990: पेट्रोकेमिकल्स और एनर्जी में विस्तार
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1985 में कंपनी का नाम बदलकर Reliance Industries Limited रखा गया।
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RIL ने पेट्रोकेमिकल्स, प्लास्टिक, और रिफाइनिंग सेक्टर में कदम रखा।
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1991 में गुजरात के हजीरा में पहला पेट्रोकेमिकल प्लांट शुरू किया गया।
धीरूभाई का बिज़नेस मॉडल “वर्टिकल इंटीग्रेशन” पर आधारित था – कच्चे माल से लेकर तैयार प्रोडक्ट तक, सब कुछ खुद नियंत्रित करना।
1999–2002: जामनगर रिफाइनरी और विरासत
1999 में, रिलायंस ने दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरियों में से एक — जामनगर रिफाइनरी चालू की, जिसकी प्रारंभिक क्षमता थी 6.6 लाख बैरल प्रति दिन।
2002 में, धीरूभाई अंबानी का निधन हुआ। इसके बाद उनके दोनों बेटे – मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने कंपनी को संभाला, लेकिन 2005 में कंपनी का विभाजन हो गया।
2000–2010: मुकेश अंबानी के नेतृत्व में नया युग
मुकेश अंबानी के नेतृत्व में रिलायंस ने नए क्षेत्रों में कदम बढ़ाया:
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टेलीकॉम: 2016 में, रिलायंस ने Jio लॉन्च किया, जिसने फ्री कॉल और सस्ते इंटरनेट डेटा के जरिए पूरे भारत में डिजिटल क्रांति ला दी।
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रिटेल: Reliance Retail की शुरुआत की, जो आज भारत की सबसे बड़ी रिटेल चेन है।
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डिजिटल व टेक्नोलॉजी: रिलायंस ने टेक्नोलॉजी, AI, और ई-कॉमर्स में निवेश शुरू किया।
वर्तमान (2025): एक वैश्विक शक्ति
आज रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड भारत ही नहीं, दुनिया की भी अग्रणी कंपनियों में गिनी जाती है।
मुख्य क्षेत्रों में कार्य:
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तेल और गैस
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टेलीकॉम (Jio)
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रिटेल (Reliance Retail)
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डिजिटल सेवाएं
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ग्रीन एनर्जी (Reliance New Energy)
प्रमुख आँकड़े (2025 तक):
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मार्केट कैप: ₹18 लाख करोड़+
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कर्मचारी: 3 लाख+
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शेयरहोल्डर्स: लाखों की संख्या में
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सूचीबद्ध: NSE और BSE पर
नवाचार और दूरदृष्टि की विरासत
रिलायंस इंडस्ट्रीज की कहानी एक प्रेरणा है – कैसे एक साधारण शुरुआत वाला व्यक्ति दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक खड़ी कर सकता है।
धीरूभाई अंबानी का एक प्रसिद्ध कथन है:
"बड़ा सोचो, तेज़ सोचो, आगे सोचो। विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं होता।"
निष्कर्ष
रिलायंस की कहानी सिर्फ एक कंपनी की नहीं, बल्कि नए भारत की कहानी है। यह उस आत्मविश्वास और क्षमता की मिसाल है जो हर भारतीय उद्यमी में मौजूद है।
आज रिलायंस भारत के भविष्य को आकार दे रहा है – और इसकी शुरुआत हुई थी एक छोटे से ऑफिस में, बड़े सपनों के साथ।

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